इस संग्रह में लगभग समाज का हर चेहरा मौजूद है। 'मेरे भगवान' में सामाजिक मूल्यों का
विकास है, वंशी लाल जैसा भोला चरित्र है, वहीं छदम' में रंजीत दत्त के छल, खल की
पराकाष्ठा है। लातूर भूकम्प के भयावह विभीषिका के दर्द के बीच में विश्वास और प्रेम का
नन्हा बीज उगता है, दर्द मॉजता है में, परन्तु 'एक तेरा ही साथ में नायक के विश्वास का
हनन हो जाता है और तत्पश्चात प्रेम की उदारता और उदात्त स्वरूप दिखता है। 'वंचित
का नायक अपने ऐश और मौज के लिए जो व्यूह रचता है, उसमें वो अपने को स्वयं फंसा
हुआ पाता है। परिस्थितियां' त्रासदी में उपजती कठिनाइयों और मानवीय क्षमताओं के
बीच संघर्ष और संयोजन की कहानी है। ट्रेन, बस और लड़की का इंतजार नहीं करना
चाहिए, क्योंकि एक जाती है, तो दूसरी आती है। आत्म सन्तुष्टि के इसी दर्शन को ये
कहानी साकार करती है। सरकारी व्यवस्था में व्याप्त चापलूसी, अकर्मण्यता तथा
नियोजित भ्रष्टाचार का चित्रण है राजकाज में। ‘कागजी इंसाफ' नियमों, कानूनों की
अव्यवहारिकताओं तथा व्यवस्था पर प्रश्न उठाती और दर्द उकेरती है। गाँव में जमीन
हड़पने के दांव-पेंच, बिखरते मूल्यों के बीच घटित एक बर्फ सा ठंडा और मीठे जहर का
बदला है 'प्रतिशोध में...
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लेखक परिचय
जन्म: | 08 अप्रैल 1977, ग्राम- कटौना, पोस्ट खपराडीह, जिला -फैजाबाद उ.प्र. ।। |
शिक्षा: | जवाहर नवोदय विद्यालय, फैजाबाद से इण्टरमीडिएट 1993 में तथा पंतनगर विश्वविद्यालय से बी.टेक. (विद्युत) 1998 में। |
उपलब्धियाँ: | अनेक कहानियाँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। वर्ष 2001 में हिंदी साहित्य विषय के साथ सिविल सेवा में रैंक 368 से चयनित।। |
संप्रति: | भारतीय रेल सेवा में वर्ष 2000 से, वर्तमान में RDS0 लखनऊ में निदेशक पद पर कार्यरत |
ई-मेल: | mairanvijay@gmail.com |
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