एक पिता ने अपनी बेटी की अच्छे परिवार में सगाई करवाई, लड़का बड़े अच्छे घर से था सुशील था तो पिता बहुत खुश हुए |
लड़के ओर लड़के के माता पिता का स्वभाव बड़ा अच्छा था तो पिता के सिर से बड़ा बोझ उतर गया |
एक दिन शादी से पहले लड़के वालों ने लड़की के पिता को खाने पे बुलाया
पिता की तबीयत ठीक न थी फिर भी वो ना न कह सके, लड़के वालो ने बड़े आदर सत्कार से उनका हार्दिक स्वागत किया |
फ़िर लड्की के पिता के लिए चाय आई,डायबीटिज कि वजह से लड्की के पिता को चीनी वाली चाय से दुर रहने को कहा गया था,लेकिन लड़की के होने वाले ससुराल में थे तो चुप रह कर चाय हाथ में ले ली |
चाय कि पहली चुस्की लेते ही चौंक गये चीनी बिल्कुल भी नहीं थी और ईलायची भी डाली हुई थी,सोच मे पड़ गये हमारी जैसी चाय पी ते हैं ये लोग भी |
दोपहर में खाना खाया वो भी बिल्कुल उनके घर जैसा |
दोपहर में आराम करने के लिए दो तकिये पतली चद्धर,उठते ही सौंफ का पानी पिने को दिया गया |
वंहा से विदा लेते समय उनसे रहा नहीं गया तो पुछ बैठे : मुझे क्या खाना है,क्या पीना है, मेरी सेहत के लिए क्या अच्छा है ? ये सब इतने अच्छे से आपको कैसे पता है?
तो बेटी की सास ने कहा कि कल रात को ही आपकी बेटी का फ़ोन आ गया था ओर कहा कि मेरे पापा स्वभाव से बड़े सरल हैं,बोलेंगे कुछ नहीं कृपया आप उनका ध्यान रखियेगा |
पिता की आंखों मे वहीं पानी आ गया था | लड़की के पिता जब अपने घर पहुँचॆ तो घर के हाल में लगी आपनी स्वर्गवासी माँ के चित्र से हार निकाल दिया तो पत्नी ने पूछा कि ये कया कर रहे हो तो लड्की का पिता बोला मेरा ध्यान रखने वाली मेरी माँ इस घर से गयी नहीं मेरी बेटी के रुप में इस घर में ही रहती है और फिर पिता की आंखों से आँसू छलक गये...
सब कहते हैं कि बेटी है एक दिन इस घर को छोड़कर चली जायेगी | बेटी कभी भी अपने माँ बाप के घर से नहीं जाती वो हमेशा उनके दिल में मौजूद रहती है...!!